तापसी पन्नू की कविता "प्रवासी" करती है, हजारों मजदूरों के दर्द को बयां
बॉलीवुड एक्ट्रेस तापसी पन्नू ने अपने सोशल मीडिया पर एक वीडियो शेयर किया है। जिसमें वो "प्रवासी" नामक कविता सुना रहीं हैं। देश इस समय जिन परिस्थितियों से गुजर रहा है ये कविता भी उसी के बारे में है।
तापसी की ये कविता उन मजदूरों के बारे में जिन्हें लॉकडाउन के कारण बहुत सी मुसीबतों का सामना करना पड़ा। इसके अलावा वो अपनी कविता में सरकार से भी कुछ सवाल कर रहीं हैं। प्रवासी नामक ये कविता बहुत ही दर्द से भरी हुई हैं और यकीनन इसे सुनकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे।
तापसी ने कविता को अपने सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए लिखा, "प्रवासी: ये कुछ पिक्चर्स है जो कभी भी हमारे दिमाग से जाने वाली नहीं है। ये लाइनें बहुत समय से हमारे दिमाग में गूंज रहीं हैं। यह महामारी इंडिया के लिए सिर्फ एक वायरल इनफेक्शन से भी बदतर थी। हमारे दिल से, आपके दिल तक, उन हजारों दिलों के लिए जो शायद हम सबने तोड़े है। #प्रवासी।"
वीडियो में तापसी कह रही है, "हम तो बस प्रवासी हैं, क्या इस देश के वासी है? अगर हम नहीं है इंसान, तो मार दो हमें, भेजो फरमान। खाने को तो कुछ ना मिल पाया, भूख लगी तो डंडा खाया। फांसले तय किए हजारों मील के, कुछ साइकिल पर, कुछ पैर नंगे। मरे कई भूख से और कई धूप से, पर हिम्मत ना टूटी, बड़ों के झूठ से। बस से भेजकर, ट्रेन से भेजकर, जान खो बैठे रास्ते भूलकर। यहाँ प्रतिमाओं की बड़ी है हस्ती, पर इंसानों की जान है सस्ती। बड़े सपने अच्छे दिन बतलाएं, पर भूख किसी कि मिटा ना पाएं। चाहिए ना भीख ना दान, बस ना छीनों आत्मसम्मान। हम तो बस प्रवासी हैं, क्या इस देश के वासी हैं?"
तापसी के इस कविता में कुछ ऐसे खबरों की झलक है जिन खबरों को सुनकर पूरा देश दहल उठा था। जैसे- कुछ माएँ अपने बच्चों को सूटकेस के ऊपर लिटाकर उन्हें खीचते हुए अपने गॉव की ओर चल दिए थे। कुछ मजदूर नंगे पैर पैदल ही अपने शहर की ओर जा रहे हैं। और रात में सोते हुए 7-8 लोगों की मालगाड़ी के नीचे आने पर हुई मौत की खबर। ऐसे कई और भी घटनाओं की झलक इस कविता में दिखाई गई है।